शब्दों से श्रद्धांजलि: 'सिलसिला' में महान स्वतंत्रता सेनानी शंकरराव क़ानूनगो की स्मृति को साहित्यिक सलाम


  • साहित्य, संस्कृति और राष्ट्रसेवा को समर्पित आयोजन में प्रदेशभर के कवियों ने किया रचना पाठ

देवास | ✍️सप्तग्रह रिपोर्टर 

ध्यप्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद एवं संस्कृति विभाग के तत्वावधान में ज़िला अदब गोशा, देवास द्वारा "सिलसिला" श्रृंखला के तहत 1 जून 2025 को अंजुमन उर्दू कन्या विद्यालय, देवास में महान स्वतंत्रता सेनानी एवं समाजसेवी शंकरराव क़ानूनगो की स्मृति को समर्पित स्मृति गाथा एवं रचना पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन जिला समन्वयक मोईन ख़ान मोईन के सहयोग से किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हन्नान फारूक़ी ने की एवं विशेष अतिथियों के रूप में स्वतंत्रता सेनानी शंकरराव क़ानूनगो के पोते नयन क़ानूनगो, शाजापुर से आए वरिष्ठ शायर हनीफ़ राही, एवं डॉ. रईस क़ुरैशी मंच पर उपस्थित रहे।

इस अवसर पर उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने "सिलसिला" की परिकल्पना और उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अकादमी का प्रयास है कि प्रदेश के प्रत्येक ज़िले में साहित्य और समाजसेवा से जुड़े महान व्यक्तित्वों को स्मरण कर उन्हें सम्मानित किया जाए। उन्होंने कहा कि शंकरराव क़ानूनगो जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने न केवल आज़ादी की लड़ाई में योगदान दिया, बल्कि आज़ादी के बाद भी समाजसेवा में निरंतर सक्रिय रहे, उन्हें स्मरण करना हम सबके लिए गौरव की बात है।

कार्यक्रम की शुरुआत में वरिष्ठ शायर विक्रम सिंह गोहिल ने शंकरराव क़ानूनगो के जीवन संघर्षों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 1920 में जन्मे क़ानूनगो जी ने मात्र 9 वर्ष की आयु में ब्रिटिश झंडा उतारकर भारतीय झंडा फहराया था। देवास में हुए चरनोई आंदोलन से लेकर स्वतंत्रता संग्राम में उनकी सक्रिय भागीदारी ऐतिहासिक रही। वे नगर पालिका अध्यक्ष, जिला सहकारी संघ अध्यक्ष, और बैंक अध्यक्ष जैसे पदों पर रहते हुए भी आजीवन सादगी और सेवा के प्रतीक बने रहे।

कार्यक्रम के रचना पाठ सत्र में प्रदेशभर से आए शायरों ने समाज, प्रेम, देशभक्ति और मानवीय भावनाओं से ओतप्रोत शेर और ग़ज़लें प्रस्तुत कीं। हनीफ़ राही, अज़ीम देवासी, सलाउद्दीन सलीस, मोईन ख़ान, मुस्तफा अदीब, देव निरंजन, गुलरेज़ अली, जय प्रकाश, ओम यादव, सर्वेश कुमार, आरिफ वारसी, डॉ. शरीफ़ जमाल, शादाब अशरफी, चाँद सोनी और रुचिता डाबी जैसे शायरों की प्रस्तुति ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

कार्यक्रम का सफल संचालन जय प्रकाश जय द्वारा किया गया। समापन सत्र में जिला समन्वयक मोईन ख़ान एवं नयन क़ानूनगो ने सभी अतिथियों, शायरों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शंकरराव क़ानूनगो की स्मृति को यूँ जीवंत बनाए रखना अगली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक साबित होगा।



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