सिलसिला-ए-अदब में शहीद ब्रिगेडियर उस्मान को उर्दू शायरों का सलाम


  • मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी की पहल: अदब और देशभक्ति का संगम

नर्मदापुरम|✍️सप्तग्रह रिपोर्टर 

ध्यप्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के तत्वावधान में नर्मदापुरम ज़िला अदब गोशा द्वारा "सिलसिला" श्रृंखला के तहत एक भावपूर्ण और प्रेरणास्पद आयोजन किया गया। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, नर्मदापुरम में 25 मई को आयोजित इस स्मृति प्रसंग एवं रचना पाठ कार्यक्रम को महावीर चक्र विजेता, वीर शहीद ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को समर्पित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर सतीश शमी ने की। मंच पर विशिष्ट अतिथि के रूप में आरती शर्मा, नरसिंहपुर से वरिष्ठ शायर अनीस शाह, डॉ. जावेद नोमानी तथा अन्य साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रिगेडियर उस्मान के जीवन और अद्वितीय पराक्रम पर केंद्रित श्रद्धांजलि वक्तव्य से हुआ, जिसे युवा वक्ता अमित बिल्लौरे ने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “भारत-पाक विभाजन के समय पाक सेना का शीर्ष पद ठुकराकर मातृभूमि के लिए लड़ने वाले उस्मान साहब की राष्ट्रभक्ति न केवल अनुकरणीय है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत भी है। नौशेरा क्षेत्र को मुक्त कराने वाले इस शेरदिल योद्धा को सच्ची श्रद्धांजलि देना हम सभी का कर्तव्य है।”

मप्र उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने कार्यक्रम के उद्देश्य और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारे कार्यक्रम 'सिलसिला' का मक़सद न केवल साहित्य को बढ़ावा देना है, बल्कि उन राष्ट्रनायकों को भी स्मरण में बनाए रखना है जिन्होंने धर्म, जाति से ऊपर उठकर देश की सेवा की। ब्रिगेडियर उस्मान ऐसे ही नायक थे।” उन्होंने कार्यक्रम के प्रस्ताव के लिए ज़िला समन्वयक सौरभ यादव का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया।

रचना पाठ में गूंजे जज़्बात और ज़मीर की सदा

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आयोजित रचना पाठ में शायरों ने शहीदों की कुर्बानियों, राष्ट्रप्रेम, जीवन के अनुभवों और मानवीय मूल्यों को शेरो-शायरी के माध्यम से प्रस्तुत किया।

प्रमुख शेर:

“इतना असर हुआ है फूलों की मार से,

पत्थर भी कट रहा है अश्कों की धार से” – सतीश शमी

“लहू सींचा है इस मिट्टी में कुछ ऐसा शहीदों ने,

कि फ़स्लें सरफ़रोशी की वतन में लहलहाती हैं” – अनीस शाह अनीस

“पाला तो एक सा ही था इस दिल ने फिर भला,

क्यूँ ग़म मिरी ख़ुशी से सयाने निकल गये” – प्रमिला 'किरण'

“मर चुका है ज़मीर लोगों का,

बात करती है लाश लोगों की” – राज गुर्जर

“कौन कहता है घर में रहता हूँ,

हर घड़ी में सफ़र में रहता हूँ” – मदन 'तन्हाई'

इसके अलावा कीर्ति प्रदीप वर्मा, रेखा कापसे, देव बिल्लौरे और हिमांशु शर्मा जैसे प्रतिभाशाली रचनाकारों ने भी अपनी भावनात्मक और मार्मिक रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं को गहराई से प्रभावित किया।

कार्यक्रम का संचालन कुशलता से हिमांशु शर्मा ने किया, जबकि समापन अवसर पर ज़िला समन्वयक सौरभ यादव ने सभी अतिथियों, रचनाकारों एवं श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “यह आयोजन साहित्य, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति को एक साथ जोड़ने वाला रहा, जो आने वाले समय में और भी व्यापक रूप लेगा।”

यह आयोजन उर्दू अदब और देशभक्ति का एक प्रेरणादायक संगम बनकर उभरा, जिसकी स्मृति नर्मदापुरम के साहित्यिक परिदृश्य में दीर्घकाल तक जीवंत रहेगी।



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