जिंदल हॉस्पिटल : जिंदा मरीज लाओ, लाश वापस ले जाओ...!


  • राजधानी में नौसीखिए डॉक्टरों का आतंक
  • लेजर ऑपरेशन हुआ, ओवरडोज से गई 25 साल की युवती की जान

✍️खान आशु 

भोपाल। प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का क्या आलम होगा, इसका अंदाज राजधानी में पसरे हालात से लगाया जा सकता है। पैर के एक नॉर्मल से ऑपरेशन के लिए भर्ती हुई एक युवती की जान यहां चली गई। अब नर्सिंग स्टॉफ से लेकर अस्पताल प्रबंधन तक इस मामले में चुप्पी साधकर बैठ गया है। परिजनो के सवाल पर उनका एक ठगा सा जवाब होता है... ऑपरेशन ठीक हुआ था, मरीज स्वस्थ था, देर रात तक सबकुछ ठीक था, लेकिन सुबह होते होते उसकी मौत हो गई...! मौत किन हालात में, किस वजह से और किस बीमारी से हुई, इसके लिए डॉक्टर्स कुछ कहने को राजी नहीं हैं।

मामला राजधानी के अयोध्या नगर क्षेत्र स्थित जिंदल हॉस्पिटल का है। पैर में मामूली चोट के चलते करीब 25 साल की शालू को यहां ट्रीटमेंट के लिए लाया गया था। प्रारंभिक जांच के बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी। तय समय के मुताबिक करोंद निवासी शालू को जिंदल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। ऑपरेशन से पहले की तमाम जांचों में उसे स्वस्थ भी पाया गया। परिजन ने बताया कि ऑपरेशन के बाद देर रात तक शालू पूरी तरह स्वस्थ्य थी। लेकिन सुबह जब परिजन अस्पताल पहुंचे तो प्रबंधन ने उन्हें बताया कि शालू की रात में मौत हो गई है और उन्हें शव सौंपने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।

डॉक्टर चुप, नर्स गायब

परिजन ने बताया कि शालू के इलाज में पाबंद डॉक्टर्स से लेकर अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर और प्रबंधन इस मामले में कुछ कहने को तैयार नहीं है। पूरे मामले पर वे टका सा एक ही जवाब दे रहे हैं कि रात में शालू का निधन हो गया। वजह क्या है, यह उनको जानकारी नहीं है। वे इस बात को भी स्वीकार कर रहे हैं कि रात तक शालू स्वस्थ थी। ऑपरेशन के बाद उन्हें मामूली दर्द था। जिसके लिए उन्हें दवा दी गई थी। रात में अचानक क्या हुआ, जिससे उसकी मौत हो गई, इसका कोई जवाब डॉक्टर्स के पास नहीं है। इधर बुधवार रात में अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद नर्स को प्रबंधन ने आधी रात को ही छुट्टी दे दी। जबकि रात्रिकालीन शिफ्ट पर तैनात इस नर्स की ड्यूटी सुबह 8 बजे तक थी।

घोटाला यह भी 

जानकारी के मुताबिक शालू के ऑपरेशन के लिए अस्पताल ने करीब एक लाख, बीस हजार रुपए का इस्टीमेट परिजन को दिया था। आयुष्मान भारत योजना के तहत इसकी अदायगी तय की गई थी। लेकिन अस्पताल ने इसके अलावा 45000 रुपए की अतिरिक्त मांग भी की थी। बाहर से बुलाए जाने वाले डॉक्टर की फीस के नाम पर यह राशि मांगी गई थी। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया था कि इस भुगतान की कोई रसीद भी नहीं दी जाएगी।

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