छिंदवाड़ा में उर्दू अकादमी का "सिलसिला" कार्यक्रम: स्वतंत्रता सेनानियों को काव्यांजलि और स्मरण
- टाउन हॉल में हुआ आयोजन, देशप्रेम और समाजसेवा से जुड़ीं रचनाएँ रहीं केंद्र में
छिंदवाड़ा|✍️सप्तग्रह रिपोर्टर
मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति विभाग के अंतर्गत ज़िला अदब गोशा, छिंदवाड़ा द्वारा आयोजित "सिलसिला" श्रृंखला के तहत एक भावनात्मक और साहित्यिक आयोजन संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम महान स्वतंत्रता सेनानी चुन्नीलाल राय और अब्दुल मजीद ख़ां 'आज़ाद' को समर्पित था। आयोजन स्थल टाउन हॉल, फव्वारा चौक में श्रोताओं ने साहित्य, इतिहास और देशप्रेम का एक अद्भुत संगम अनुभव किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता और उद्देश्य
कार्यक्रम की अध्यक्षता छिंदवाड़ा के वरिष्ठ शायर हामिद अली 'हामिद' ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में मिन्हाज कुरैशी (सिवनी), समाजसेवी हाजी इब्राहीम, और हसन फ़ज़ा मंच पर उपस्थित रहे।
उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने कहा कि "सिलसिला" का उद्देश्य स्थानीय रचनाकारों को मंच देना और स्वतंत्रता संग्राम की विभूतियों को नई पीढ़ी से जोड़ना है। उन्होंने बताया कि अकादमी उर्दू साहित्य को सामाजिक और सांस्कृतिक सरोकारों से जोड़ने में निरंतर सक्रिय है।
स्वतंत्रता सेनानियों का जीवन परिचय
विवेक बंटी राय और नूर जहाँ ख़ान ने स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन पर प्रकाश डाला।
विवेक राय ने बताया कि चुन्नीलाल राय का जन्म 1920 में हुआ था। वे भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रहे और जेल गए। स्वतंत्रता के बाद वे ज़िला स्वतंत्रता संग्राम सैनिक संघ के पदाधिकारी बने।
नूर जहाँ ख़ान ने बताया कि अब्दुल मजीद आज़ाद को अंग्रेज़ों की बर्बरता के कारण दृष्टिहीनता का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने देशप्रेम की मिसाल कायम की। उन्होंने अपनी सरकारी भूमि भी ग़रीबों को दान कर दी और अंतिम इच्छा के रूप में खादी के कफ़न की मांग की।
रचना पाठ सत्र: जब देशभक्ति बनी कविता की आत्मा
कार्यक्रम का आकर्षण रहा रचना पाठ सत्र, जिसमें शायरों ने देश, समाज और मानवीय मूल्यों से जुड़ी रचनाएँ प्रस्तुत कीं:
- हामिद अली 'हामिद'
हमें तो ग़म में भी आदत है मुस्कुराने की / ख़ुशी के गीत मुसीबत में गुनगुनाने की
- मिन्हाज कुरैशी
क्या क्या न हम भी फ़िक्र के लश्कर लिये फिरे...
- अजमेरा मयकश, चंदन अयोधी अश्क, शकील फ़िरदौसी, अंजुमन मंसूरी 'आरज़ू', नफ़ीस मेराज, यूनुस शैख़, अयाज़ ख़ान, शारिक़ ख़ान 'साहिल' जैसे शायरों ने मंच को भावनाओं से भर दिया।
अंत में आभार और आशाएँ
कार्यक्रम का संचालन मुबीन ज़ामिन ने कुशलतापूर्वक किया और अंत में उन्होंने सभी अतिथियों, श्रोताओं और रचनाकारों का आभार व्यक्त किया। यह आयोजन छिंदवाड़ा की सांस्कृतिक चेतना और ऐतिहासिक स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में याद किया जाएगा।
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