दादा साहब फाल्के की 155वीं जयंती पर 'परिवार KAF अवॉर्ड 2025' का भव्य आयोजन: सिनेमा को समर्पित शाम
✍️नौशाद कुरैशी|मुंबई
भारतीय सिनेमा के जनक माने जाने वाले दादा साहब फाल्के की 155वीं जयंती को एक यादगार अवसर बनाते हुए इस वर्ष भी ‘परिवार KAF अवॉर्ड 2025’ का आयोजन भव्यता के साथ मुंबई की दादा साहब फाल्के चित्र नगरी, गोरेगांव ईस्ट में संपन्न हुआ।
यह कार्यक्रम सिर्फ एक पुरस्कार समारोह नहीं था—यह श्रद्धा, विरासत और सिनेमा प्रेम की अभिव्यक्ति थी। कार्यक्रम का आयोजन कृष्णा आर्ट फिल्म द्वारा, प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स और ईश्वरा लाइफ साइंसेस मुंबई के सहयोग से किया गया।
रविंद्र अरोरा की स्मृति में सजी रोशनी
इस आयोजन की आत्मा थे फिल्म निर्माता और निर्देशक स्व. रविंद्र अरोरा, जिन्होंने इस परंपरा की नींव रखी थी। उनके असामयिक निधन के बाद उनके मित्रों और शुभचिंतकों ने यह जिम्मेदारी उठाई कि यह परंपरा ना रुके, बल्कि और निखरे। आयोजन समिति की महामंत्री श्रीमती शशि दीप ने पूरे आयोजन को न सिर्फ व्यवस्थित ढंग से संपन्न किया, बल्कि इसे भावनात्मक रूप से भी विशेष बना दिया।
सम्मानित हुईं 22 प्रेरणादायक हस्तियां
इस वर्ष, ज्यूरी समिति द्वारा चुनी गईं 22 हस्तियों को उनके समाज, कला, प्रशासन और चिकित्सा में उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘परिवार KAF अवॉर्ड 2025’ से नवाजा गया। इनमें शामिल रहे:
चार पीएचडी धारक डॉ. रामदास आबणे
रिटायर्ड पुलिस अधिकारी प्रफुल्ल अगावने
फिल्म निर्माता श्री रामानुज भट्टड़
बीएमसी अधिकारी पोपट गवली
अंतरराष्ट्रीय कलाकार डॉ. विनोद कांबली
सामाजिक कार्यकर्ता सरिता चौधरी, रजिया मरक्कर, माया गुप्ता
लेखिका और समाजसेविका ज्योति निसल
और कई अन्य प्रतिष्ठित नाम
इन सभी को दादा साहब के नाती चंद्रशेखर पुसालकर, श्रीमती मृदुला पुसालकर, और आयोजन समिति के कर कमलों से सम्मानित किया गया।
सहयोग की मजबूत नींव
ईश्वरा लाइफ साइंसेस मुंबई के श्री मनीष स्वामी और डॉ. सुवि मनीष स्वामी ने अपने वैचारिक समर्थन और मानवीय दृष्टिकोण से कार्यक्रम को ऊर्जा दी। वहीं प्रेस क्लब के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. सैयद खालिद कैस ने ज्यूरी गठन से लेकर संचालन तक में मार्गदर्शक की भूमिका निभाई।
एक शाम जो सिर्फ सम्मान नहीं, भावना थी
कार्यक्रम का आरंभ दादा साहब फाल्के की प्रतिमा पर माल्यार्पण और श्रद्धांजलि से हुआ। मंच पर जब एक-एक कर सम्मानित हस्तियां आईं, तो पूरा माहौल गर्व, आभार और प्रेरणा से भर उठा।
कार्यक्रम की सफ़लता में उद्घोषक मोहन शर्मा, पीआरओ श्री मंगेश, और फिल्म सिटी प्रशासन की भूमिका भी उल्लेखनीय रही। अंत में श्रीमती शशि दीप ने सभी को तहे दिल से धन्यवाद दिया।
अंतर्मन से -
दादा साहब फाल्के का सपना था – एक सशक्त भारतीय सिनेमा। यह आयोजन उस सपने को श्रद्धा के साथ याद करने का एक खूबसूरत जरिया है। यह सिर्फ पुरस्कार नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है कि सिनेमा, समाज और संवेदना का संगम कैसे नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।
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