इनसाइड स्टोरी: महिला अधिकारियों की शिकायतों के बावजूद आरोपी वैज्ञानिक को 'सम्मानजनक' तैनाती, अंदरखाने क्या चल रहा है?

गंभीर आरोपों में घिरे वैज्ञानिक
माइक्रोबायोलॉजी दीपक द्विवेदी 

भोपाल | विशेष संवाददाता (📱9424002407)

मामले की पृष्ठभूमि

लघु वनोपज संघ में कार्यरत वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दीपक द्विवेदी के खिलाफ दो महिला अधिकारियों ने मानसिक उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की गंभीर शिकायतें की हैं। इसके बावजूद, उन्हें निलंबित करने के बजाय मुख्यालय में 'सम्मानजनक अटैचमेंट' दिया गया है।

शिकायतें और घटनाक्रम

सूत्रों के अनुसार, पहली शिकायत केमिकल साइंटिस्ट विजेयता श्रीवास्तव ने की थी। उन्होंने निरंतर मानसिक प्रताड़ना और असभ्य व्यवहार का आरोप लगाया।

दूसरी शिकायत हाल ही में एक समीक्षा बैठक के दौरान हुई, जहाँ डॉ. द्विवेदी ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और कार्य में असहयोगिता दिखाई। इस बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

प्रबंध संचालक की भूमिका पर सवाल

अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि संघ के प्रबंध संचालक विभाष कुमार ठाकुर ने बिना किसी प्रारंभिक जांच के ही आरोपी को मुख्यालय में अटैच कर दिया। विभाग के कई कर्मचारियों के अनुसार, यह फैसला बेहद चौंकाने वाला है, क्योंकि आम तौर पर ऐसी स्थिति में तत्काल कार्रवाई होती है।

अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों टली?

सूत्र बताते हैं कि डॉ. द्विवेदी के प्रभावशाली अधिकारियों से संबंध रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,

“अगर यही आरोप किसी जूनियर अधिकारी पर होते, तो उसे उसी दिन निलंबित कर दिया जाता। यहाँ उल्टा आरोपी को सुविधा दी जा रही है।”

महिला अधिकारियों में डर का माहौल

घटना के बाद संघ की महिला अधिकारी डरी और असहज महसूस कर रही हैं। कई अधिकारी प्रतिशोध की आशंका के कारण आगे शिकायत करने से हिचक रही हैं। एक अधिकारी ने कहा:

“जब हमारे ही विभाग में ऐसा खुलेआम हो रहा है, तो हमें अपने लिए असुरक्षित महसूस करना स्वाभाविक है।”

सरकार से सवाल

मुख्यमंत्री सार्वजनिक मंचों पर महिला सम्मान की बात करते हैं, लेकिन अधीनस्थ विभागों में हो रही घटनाओं पर उनकी चुप्पी भी सवालों में है। क्या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा?

यह इनसाइड स्टोरी स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि अगर इस तरह के मामलों पर पारदर्शी और कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे न केवल प्रशासनिक ढांचे की साख पर बुरा असर पड़ेगा, बल्कि महिला अधिकारियों की सुरक्षा और आत्मविश्वास भी गंभीर खतरे में आ जाएगा।



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