दिग्विजय सिंह के 'शहीद' बयान पर सियासी घमासान | BJP vs Congress
सियासत के रंग|✍️नौशाद कुरैशी
मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर गर्माहट आ गई है, और केंद्र में हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पुराने वीडियो में बाबरी मस्जिद को "शहीद" कहे जाने पर भाजपा ने तीखा हमला बोला है, जबकि दिग्विजय सिंह ने वीडियो से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।
भाजपा का आरोप: कबूलनामे की तरह वायरल हुआ वीडियो
राज्य के खेल एवं युवक कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने वीडियो को शेयर करते हुए आरोप लगाया कि यह कांग्रेस की मानसिकता और साजिशों की पोल खोलता है। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह ने स्वयं स्वीकार किया है कि उन्होंने बाबरी मस्जिद को "शहीद" कहा और दंगों में कांग्रेस की भूमिका को स्वीकारा है। भाजपा ने इसे "कांग्रेस का कबूलनामा" करार दिया और इसे भारत विरोधी सोच से जोड़ दिया।
सारंग ने कहा, "यह कांग्रेस की पाकिस्तान परस्ती और सनातन धर्म विरोधी सोच को दर्शाता है। भगवा आतंकवाद, धर्म-जाति के नाम पर राजनीति और अब बाबरी मस्जिद को 'शहीद' बताकर देश को बांटने की कोशिश – यह कांग्रेस की नियत को उजागर करता है।"
कांग्रेस की सफाई: वीडियो से छेड़छाड़, सत्य को तोड़ा-मरोड़ा गया
दिग्विजय सिंह ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा कि वीडियो को संपादित किया गया है और "न" शब्द हटाकर उनका वाक्य बदला गया है। उन्होंने कहा, "मैंने कहा था कि हमने दंगे न हों, इसके लिए 15 दिन पीसीसी दफ्तर में रुककर प्रयास किए। पर वीडियो से 'न' हटा दिया गया। यही भाजपा के काम आता है – झूठ को प्रचारित करना।"
सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी पूजास्थल को जबरन गिराया जाए, तो उसे 'शहीद' कहना अनुचित नहीं है। उनका तर्क है कि यह भावनात्मक शब्द है, राजनीतिक बयान नहीं।
बयान के शब्दों से राजनीतिक शस्त्र बनाने की होड़
यह घटना एक बार फिर यह दर्शाती है कि राजनीतिक विमर्श अब तथ्यों से ज़्यादा बयानों की व्याख्या पर आधारित होता जा रहा है। एक पुराना वीडियो, जिसकी सत्यता पर विवाद है, आज के राजनीतिक वातावरण में एक सशक्त हथियार बन गया है।
भाजपा इस वीडियो के माध्यम से कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रही है, खासकर उस समय जब हिंदू भावनाएं राजनीतिक विमर्श का केंद्र बनी हुई हैं।
वहीं कांग्रेस और दिग्विजय सिंह इसे "राजनीतिक षड्यंत्र" और "विचारधारा पर हमला" मानते हैं।
बहरहाल, यह विवाद केवल शब्दों का नहीं है, बल्कि यह उस राजनीतिक और वैचारिक संघर्ष का हिस्सा है, जो धर्म, इतिहास और राष्ट्रीय पहचान के इर्द-गिर्द घूमता है। इस मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से आगे कोई अनुशासनात्मक कदम उठाया जाएगा या नहीं, यह देखना बाकी है। वहीं भाजपा इस बयान को कांग्रेस की छवि पर चोट करने के लिए भरपूर इस्तेमाल कर सकती है।
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