डॉ. राहत इंदौरी की 75वीं सालगिरह: शायरी और कला के बहाने स्मृतियों का महोत्सव
- इंदौर में आज साहित्य, संगीत और सम्मान का संगम
राहत की बात : ✍️नौशाद कुरैशी
डॉ. राहत इंदौरी का नाम भारतीय शायरी के उस दौर से जुड़ा है, जहां कविता मंचों से उठकर आम लोगों के दिलों तक पहुंची। उनकी 75वीं सालगिरह का आयोजन न केवल एक शायर के सम्मान में हो रहा है, बल्कि यह उनके व्यक्तित्व और कला को नए नजरिए से समझने और संजोने का एक प्रयास है। इस आयोजन के माध्यम से उनकी शायरी और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होगी। यह आयोजन न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि एक शायर का समाज और संस्कृति पर कितना गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
राहत इंदौरी: ...लहू से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना
राहत इंदौरी अपने समय के उन चुनिंदा शायरों में से थे, जिन्होंने कविता को मंचीय लोकप्रियता दी। उनकी शायरी में केवल इश्क और दर्द ही नहीं, बल्कि समाज के लिए चेतना और जागरूकता की गूंज सुनाई देती है। "मैं मर जाऊं तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना" जैसे शेर उनकी विचारधारा और उनके साहस को दर्शाते हैं।
सालगिरह का महत्व: साहित्य और स्मृतियों की नई यात्रा
1 जनवरी 2025 को इंदौर में आयोजित होने वाला यह भव्य आयोजन राहत इंदौरी के व्यक्तित्व, उनकी शायरी और उनके योगदान को सम्मानित करेगा। इस आयोजन को विशिष्ट बनाने के लिए कई पहलुओं को शामिल किया गया है, जिनमें साहित्यिक विमर्श, दास्तानगोई, सूफियाना महफिल और ऑल इंडिया मुशायरा जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
सूफियाना महफिल: शायरी और संगीत का अनोखा मेल
इस आयोजन की शुरुआत सूफी संगीत के कार्यक्रम "कलाम-ए-राहत" से होगी। इसमें आफताब कादरी और उनकी टीम राहत साहब की चुनिंदा ग़ज़लों को सूफियाना अंदाज में पेश करेंगे। यह महफिल न केवल उनकी शायरी की गहराई को समझने का एक अवसर प्रदान करेगी, बल्कि यह शायरी और संगीत के संगम का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी होगी।
दास्तानगोई: एक शायर के जीवन का चित्रण
दास्तानगोई, जो एक पारंपरिक कहानी कहने की विधा है, के माध्यम से राहत इंदौरी के जीवन के अनछुए पहलुओं को दर्शाया जाएगा। डॉ. हिमांशु वाजपेई द्वारा प्रस्तुत "दास्तान-ए-राहत" में उनके संघर्ष, सफलता, और जीवन के प्रेरणादायक प्रसंगों को जीवंत किया जाएगा।
ख्वाब की खेती और "मैं जिंदा हूं" का विमोचन
इस आयोजन के दौरान राहत इंदौरी पर केंद्रित दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया जाएगा। डॉ. अजीज इरफान की "ख्वाब की खेतियां" उनकी शायरी और जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करती है, जबकि रेखता पब्लिकेशन की "मैं जिंदा हूं" राहत इंदौरी की समग्र शायरी का संकलन है। इन पुस्तकों का विमोचन साहित्य प्रेमियों को राहत इंदौरी के जीवन और कृतित्व को गहराई से समझने का अवसर देगा।
महफिल-ए-मुशायरा: शायरी का उत्सव
राहत इंदौरी का जीवन शायरी के मंचों से जुड़ा रहा। उनकी याद में आयोजित इस मुशायरे में देश-विदेश के मशहूर शायर अपनी कविताओं से उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। प्रो. वसीम बरेलवी, नवाब देवबंदी, ताहिर फराज, और मंजर भोपाली जैसे नामी शायर इस महफिल को सजाएंगे। यह मुशायरा शायरी प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अवसर होगा।
साहित्य और संस्कृति का योगदान
यह आयोजन न केवल राहत इंदौरी के योगदान को सम्मानित करता है, बल्कि यह साहित्य और संस्कृति के महत्व पर भी प्रकाश डालता है। यह हमें याद दिलाता है कि शायर और साहित्यकार समाज के आईने होते हैं, जो हमारे विचारों और भावनाओं को शब्दों में ढालते हैं।
आगे का सवाल: शायरी की विरासत का संरक्षण
डॉ. राहत इंदौरी जैसे शायर केवल एक युग तक सीमित नहीं रहते। उनकी शायरी और विचारधारा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। यह आयोजन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन सवाल यह है कि क्या हम उनकी विरासत को संरक्षित और प्रासंगिक बनाए रखने में सफल होंगे।
डॉ. राहत इंदौरी की 75वीं सालगिरह का यह आयोजन साहित्य, शायरी और संगीत के प्रति उनके प्रेम और योगदान को नमन करता है। यह आयोजन केवल उनके जीवन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह साहित्य और कला के प्रति हमारे कर्तव्यों की भी याद दिलाता है। उनकी शायरी आने वाले वर्षों तक समाज को दिशा देती रहेगी, और यह आयोजन उनकी इस अनमोल विरासत को संजोने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
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